आज मैं अपनी बड़ी ही पसंदीदा मूवी रब ने बना दी जोड़ी देख रहा था और अचानक से शाहरुख़ ने बड़ी ही ख़ूबसूरत बात कह दी के भाई -इंसान प्यार का भूखा होता है जी, जहाँ प्यार मिला उधर ही खीचा चला जाता है. अन्दर ही अन्दर जो आंसू रोया के कितनी छोटी सी बात कितने आसानी से कह दी उसने. और फिर राज कहता की यारा रब सभी को बराबर प्यार नहीं बांटता- कुछ लोगों को आसानी से मिलता है और कुछ लोगों को अपना हिस्सा रब से छीनना पड़ता है. कभी-कभी इसी बात से डर लगता है. सोचता हूँ के हम दुनिया प्यार बांटते क्यों नहीं? अगर किसी की मतलबी सोच भी हो तो वो ऐसे मौके को क्यूँ छोड़े जिससे वो भी किसी का भगवान् बन सकता है ?